Wednesday, June 4, 2008

डोर

एक नाज़ुक से धागे से जुड़ी हीं ये रिश्ते की डोर
कमज़ोर होती जाती हैं ये, न जाने किसके मन मैं है चोर

हम दोनों ही जुड़े रहना चाहते हैं हमेशा, इसी डोर से, पर
नई डोर दिखती हैं, हम उस डोर को पाना चाहते हैं और सोचते हैं मिल जाए ये अगर

कोई नई डोर किसी नई जगह से आके जैसे ही जुड़ जाती हैं
हमारी डोर फ़िर से कमज़ोर पढने लग जाती है

सताते हैं, कभी एक दूसरे को रुलाते हें, इन रिश्तो की डोर मैं कभी कभी अपनी डोर को ढूँढ नहीं पते हैं
परेशां होते हीं इस रिश्तो की डोर के हर धागे को, हम ,कमज़ोर करते जाते हैं

कभी कभी लगता हैं हम दोनों तोड़ने पर तुले हुए हैं इस डोर को जिससे हम जुड़े हुए हैं
पर नजाने हर बार क्या हो जाता हैं है यह डोर का नाता और मज़बूत होता जाता हैं


इस डोर के सभी पहलू से हम दोनों अनजान हैं , कभी कमज़ोर होजयेंगी कभी नई उम्मीद जगएँगी
न जाने ये डोरे हमें ज़िंदगी के कैसे कैसे पहलु दिख्लायेंगी

डर लगता हैं कहीं उलझ न जाए ये सभी धागे कहीं
वो डोर जो जोड़ती थी सब को मुझसे से वो, कभी बनेगी ही नहीं |

Biren:)

2 comments:

swati said...

It was awesome i cant believe dat an iitian cud be dat much creative .very nice

Biren said...

Thanksss swati ;)

the poison in me

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Bhilai/Kota/Mumbai, Chattisgarh/Rajasthan/Maharashtra, India
I AM A Restless soul a dreamer .....wanna be the best ... ....singing,,, talking ,,,, chatting ,,,,, photography ,,, Sketching ...trekking. DRAMATICS (ACTING/Writing/Direction)....etc etc...these things define me ! Peace! Change the world